पिछले साल के अनुभवों से सीख जरूरीः नेगी

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देहरादून। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी ने यूएसडीएमए के विशेषज्ञों को निर्देश दिए कि गत वर्षों चार धाम यात्रा के दौरान क्या-क्या आपदा आई हैं, कितने लोग इससे प्रभावित हुए, कितनी जनहानि हुईं, कहां-कहां पर मार्ग बंद हुए, भीड़ की स्थिति कैसी रही, किन-किन जगहों पर अत्यधिक जाम लगा, इन सबका विश्लेषण करने के निर्देश दिए ताकि इस बार उन क्षेत्रों में प्रभावी तरीके से काम किया जा सके। उन्होंने कहा कि गत वर्ष के अनुभवों का लाभ लेने की पूरी कोशिश की जाएगी।
तीन मुख्य जिले, चार ट्रांजिट जनपदः बता दें कि चारधाम यात्रा को लेकर उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग मुख्य जनपद हैं, जबकि टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार और देहरादून ट्रांजिट जिलों की श्रेणी में आते हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के टेंटेटिव शेड्यूल के अनुसार 14 अप्रैल को ओरिएंटेशन एवं कोऑर्डिनेशन कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा। 22 अप्रैल को टेबल टॉप एक्सरसाइज तथा 24 अप्रैल को मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी।
जिले बताएंगे, यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित कैसे की जाएगीः मॉक ड्रिल के दौरान विभिन्न रेखीय विभागों की चार धाम यात्रा प्रबंधन को लेकर तैयारियों को परखा जाएगा। इसके साथ ही यदि चारधाम यात्रा के दौरान भीड़ बढ़ने पर भगदड़ की स्थिति होती है, अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन होता है और मार्ग बंद होते हैं, ट्रैफिक के दबाव के कारण सड़कों तथा बाजारों में जाम लगता है तो विभिन्न विभाग यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या-क्या करेंगे, इसकी रिहर्सल की जाएगी।
जनपदों को यह भी बताना होगा कि विभिन्न संसाधन जैसे हॉस्पिटल, हेलीपैड, वैकल्पिक मार्ग आदि कहां-कहां पर हैं तथा उनकी जीआईएस लोकेशन यूएसडीएमए के साथ साझा करनी होगी। मॉक ड्रिल में विभिन्न जनपदों के ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान को धरातल पर परखा जाएगा। भीड़ प्रबंधन को लेकर जिलों की क्या तैयारी है, इनका भी धरातलीय परीक्षण किया जाएगा।
यदि किसी प्रकार की आपदा तथा मार्ग बंद होने की स्थिति में यात्रियों को रोकना पड़े तो, उनकी सुरक्षा किस प्रकार सुनिश्चित की जाएगी तथा उन्हें सुरक्षित ठहराने के क्या-क्या इंतजाम किए जाएंगे, इस पर भी मॉक ड्रिल के दौरान न सिर्फ चर्चा की जाएगी बल्कि जनपदों को ग्राउंड जीरो पर यह सब करके भी दिखाना होगा। साथ ही भीड़ बढ़ने, मार्ग बंद होने तथा ट्रैफिक का दबाव अधिक होने पर रूट डायवर्जन प्लान भी जनपदों को बनाकर मॉक ड्रिल के दौरान उसके प्रभावशीलता का प्रदर्शन भी करना होगा।

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