टिहरी,, 2 मई 1772 को बंगाल प्रेसीडेंसी के राधानगर हुगली में एक वैष्णव परिवार में जन्मे, वे न केवल एक समाज सुधारक और शिक्षाविद थे, बल्कि धर्म, राजनीति और लोक प्रशासन के क्षेत्र में भी उनका प्रभाव था. इंग्लिश, हिंदी, संस्कृत, बंगाली, अरबी और फारसी जैसी भाषाओं का राजा राम मोहन राय को ज्ञान था. उन्होंने उपनिषदों का अनुवाद करने के लिए आत्मीय सभा नामक एक संघ का गठन किया था और इसका अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली में अनुवाद किया था. ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता एवं सती प्रथा व बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आंदोलन छेड़कर लोगों को जागरूक करने वाले महान समाज सुधारक श्री राजा राम मोहन राय जी की जयंती पर उन्हें लिखवार गांव वासियों की ओर से कोटि-कोटि नमन व वंदन । सकारात्मक और कल्याणकारी विचारों के आलोक से जगत को आलोकित कर आधुनिक भारत की नीव रखी थी। उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों के लिए उन्हें युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। राजा राम मोहन राय जी को की जयंती पर युवा पीढ़ी कुछ अच्छा करने की प्रेरणा ले यही उनको सच्ची भावना से नमन है .चंद्रशेखर पैन्यूली प्रशासक लिखवार गांव
प्रतापनगर टिहरी गढ़वाल ने भी नमन वंदन किया है