वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए जन भागीदारी सुनिश्चित की जाए:मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ पत्रकार श्री मंजुल मांजिला के निधन पर दुःख व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने गुरूवार को स्व. मंजुल मांजिला के हर्रावाला स्थित आवास पर पहुंचकर कर उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने शोकाकुल परिवारजनों से भेंट कर अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिवारजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है।

मुख्यमंत्री ने सूचना महानिदेशक श्री बंशीधर तिवारी को दिवंगत पत्रकार श्री मंजुल मांजिला के परिवारजनों को हर संभव मदद करने और तय प्रावधान के अनुसार उनके परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिये हैं।

इस दौरान मेयर देहरादून श्री सौरभ थपलियाल एवं महानिदेशक सूचना श्री बंशीधर तिवारी भी मौजूद थे। 

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राज्य में वनाग्नि की चुनौतियों से समाधान के लिए वनाग्नि की पिछली घटनाओं में आई समस्याओं का ध्यान में रखते हुए आगे की योजनाएं बनाई जाए। वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए जन भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

सभी विभागों के साथ ही सामाजिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, महिला मंगल दलों, युवक मंगल दलों और वन पंचायतों का भी वनाग्नि की घटनाओं को रोकने में सहयोग लिया जाए। वनों में आग लगाने वाले असमाजिक तत्वों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए। ये निर्देश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को आई.टी.पार्क देहरादून स्थित राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में वनाग्नि नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, गृह मंत्रालय भारत सरकार तथा उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आयेजित मॉक ड्रिल के दौरान अधिकारियों को दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सभी विभागों को एकजुटता से कार्य करना होगा। उन्होंने प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु को निर्देश दिये कि वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए सभी विभागों की भागीदारी सुनिश्चत करने के लिए पत्र जारी किया जाए। वनाग्नि को रोकने के लिए शीतलाखेत मॉडल के साथ ही चाल-खाल, तलैया और अन्य प्रभावी उपायों पर कार्य किये जाएं। इसके लिए जलागम विभाग का भी सहयोग लिया जाए। आधुनिक तकनीक के प्रयोग पर अधिक बल दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि से राज्य को अनेक चुनौतियों से जूझना पड़ता है। वन संपदा के नुकसान के साथ ही पशु हानि भी होती है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए व्यापक स्तर पर नियमित जागरूकता अभियान चलाये जाए। नवाचारों पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से भी अपील की है कि वनाग्नि की घटनाओं को रोकने में सक्रिय भागीदारी दिभाएं।

वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए संयुक्त रूप से आयोजित इस मॉक ड्रिल में 06 जनपदों के 16 स्थान चिन्हित किये गये। वनाग्नि के कारण विभिन्न परिस्थितियों का किस तरह समाधान करना है, रिस्पांस टाइम कम करने, वनाग्नि को रोकने के लिए जन सहयोग और अन्य प्रभावी उपायों पर मॉक ड्रिल की गई । मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की मॉक ड्रिल से जरूर वनाग्नि के समय उस पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी। केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा वनाग्नि को रोकने के लिए राज्य को आधुनिक उपकरण देने पर भी मुख्यमंत्री ने आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर राज्य सलाहकार समिति आपदा प्रबंधन विभाग के उपाध्यक्ष श्री विनय कुमार रुहेला, प्रमुख सचिव श्री आरके सुधांशु, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन, आईजी फायर श्री मुख्तार मोहसिन, एनडीएमए के सीनियर कंसल्टेंट श्री आदित्य कुमार, अपर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी श्री राजकुमार नेगी, अपर सचिव श्री विनीत कुमार, अपर प्रमुख वन संरक्षक श्री निशांत वर्मा, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद ओबेदुल्लाह अंसारी और वर्चुअल माध्यम से संबंधित जिलाधिकारी उपस्थित थे।

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नाबार्ड द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में वर्ष 2025-26 के लिए प्राथमिकता क्षेत्र हेतु ₹54698 करोड़ की ऋण संभाव्यता का आंकलन

 

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार में वर्ष 2025-26 के स्टेट फोकस पेपर का विमोचन किया |

सेमिनार का मुख्य उद्देश्य राज्य के लिए वर्ष 2025-26 हेतु आंकलित की गई ऋण संभाव्यताओं पर गहन चर्चा करना है। नाबार्ड ने वर्ष 2025-26 हेतु राज्य के लिए ₹54698 करोड रुपए की ऋण संभाव्यता का आंकलन किया है जो विगत वर्ष के वार्षिक ऋण योजना के ₹40158 करोड रुपए से 36 % अधिक है। जिसमें कुल कृषि ऋण ₹19306.96 करोड़, एमएसएमई ₹30477.92 करोड़ तथा अन्य प्राथमिक क्षेत्र में ₹4913.53 करोड़ का आंकलन किया गया है।

 

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2025-26 आयोजित करने के लिए नाबार्ड को बधाई दी एवं राज्य के साथ मिलकर विभिन्न प्राथमिक क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए नाबार्ड का आभार व्यक्त किया। सीएस श्रीमती रतूड़ी ने नाबार्ड के माध्यम से उत्तराखंड राज्य को दिए गए आरआईडीएफ़ ऋण का विशेष उल्लेख करते हुए बताया कि आरआईडीएफ़ के माध्यम से राज्य में आधारभूत अवसंरचना विकास को एक विशेष गति मिलती है | उन्होने उत्तराखंड राज्य कि सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक पलायन की समस्या को चिन्हित करते हुए बताया कि राज्य सरकार नाबार्ड व अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए परियोजनाएं शुरू कर सकती है। मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने कहा कि जिलों के लिए तैयार की जाने वाली ऋण संभाव्यताओं के तर्ज पर जिलावार विकास योजना भी बनाई जा सकती है जिससे समग्र उत्तराखंड के विकास को और गति मिलेगी | मुख्य सचिव ने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य में अपार संभावनाएं हैं तथा राज्य के ग्रामीण इलाकों में इसके माध्यम से रोजगार सृजन किया जा सकता है एवं कृषि और कृषि से इत्तर अन्य क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर बढ़ जाएंगे | उन्होने भविष्य में भी नाबार्ड के सार्थक प्रयासों को जारी रखते हुए राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाने का आग्रह किया |

स्टेट फोकस पेपर भारत और राज्य सरकार दोनों की विभिन्न नीतिगत पहलों को भी समन्वित करता है। नाबार्ड राज्य की स्थापना से ही इसके विकास में सतत महत्वपूर्ण सहयोग दे रहा है जिसमें आधारभूत संरचना के विकास से संबन्धित योजनाएं जैसे ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि, नाबार्ड आधारभूत सुविधा विकास सहायता, भांडागार अवसंरचना कोष, दीर्घावधि सिंचाई निधि आदि प्रमुख है जिसके माध्यम से राज्य में अच्छी सड़कों भण्डारण व्यवस्थाए पेयजल तथा सिंचाई सुविधा आदि का विकास हो पाया है। आधारभूत संरचना विकास के लिए 31 दिसंबर 2024 तक नाबार्ड ने कुल 5397 परियोजनाओं के लिए ₹10374.94 करोड़ रुपए संवितरित किया है | नाबार्ड ने वित्त वर्ष 2014-15 से 31 दिसंबर 2024 तक राज्य में कुल 136 कृषक उत्पादक संगठनों के संवर्धन के लिए ₹2694.68 लाख रुपए का अनुदान प्रदान किया है | राज्य में आदिवासी जनसंख्या के जीवन स्तर में सुधार के लिए नाबार्ड प्रतिबद्ध है और इसके लिए 13 परियोजनाओं के माध्यम से 4845 आदिवासी परिवार के लिए कुल ₹20.99 करोड़ का अनुदान प्रदान किया है |
उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था में भी महिलाओं का बड़ा योगदान है। नाबार्ड ने महिलाओं को सशक्त बनाने तथा उनके लिए सतत आजीविका सृजित करने के लिए 177 प्रशिक्षण कार्यक्रम किये गए जिसमें लगभग 7800 स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें अपने व्यव्साय करने के लिए प्रेरित किया गया और महिलाओं ने समूह के माध्यम से अपने जीवन को नई दिशा दी है। स्वयं सहायता समूहों एवं अन्य कारीगरों को बाजार उपलब्ध कराने हेतु नाबार्ड द्वारा जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रदर्शनी सह बिक्री मेलों के आयोजन किये गए हैं । साथ ही ग्राम स्तर पर ग्रामीण हाट, ग्रामीण मार्ट एवं विपणन वैन की सहायता से उत्पादों की बिक्री में वृद्धि के लिए सहायता प्रदान की गई है।
वित्तीय समावेशन के तहत बैंकिग सुविधाओं के प्रति लोगों को जागरूक किया गया है तथा जिन गाँवों में बैंकिंग सुविधा नहीं है वहाँ सुविधा पहुँचाने के लिए सहकारी बैंकों को मोबाइल डैमो वैन एटीएम की सुविधा सहित दी गई है।
स्टेट फोकस पेपर राज्य सरकार को नीतिगत पहलों और वर्ष 2025.26 के लिए बजट की प्राथमिकता के निर्धारण में उपयोगी होगा, जो ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना के संतुलित विकास को सुनिश्चित करने के साथ-साथ बैंकरों को भी वर्ष 2025-26 के लिए प्राथमिकता क्षेत्र के अंतर्गत ऋण कार्यक्रमों को अंतिम रूप देने में मदद करेगा।

अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्धन ने कहा कि उत्तराखंड राज्य की सीमाएं अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से साझा है तथा पर्वतीय राज्य होने के कारण यहां की चुनौतियां भी अलग है | लोगो के पलायन करने से कृषि कार्यों में लगी जनसंख्या में कमी हो रही है, इससे कृषि योग्य भूमि धीरे धीरे बंजर भूमि बनती जा रही है जो उत्तराखंड राज्य के कृषि के लिए एक समस्या के रूप में उभरी है | अपर मुख्य सचिव ने वाह्य एजेंसी के माध्यम से राज्य के प्रत्येक जिलों के लिए आकांक्षी क्षेत्र की पहचान कर उसके समाधान के लिए योजनाए बनाकर उसे भी स्टेट फोकस पेपर में समायोजित करने की बात कही |

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक श्री पंकज यादव ने ऋण योजना को तैयार करने में नाबार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए नाबार्ड द्वारा 2025-26 के लिए किए गए ऋण संभाव्यता के बारे में सदन को अवगत कराया। उन्होने नाबार्ड द्वारा राज्य में किए गए कार्यों जैसे किसान उत्पादक संगठनों का गठन, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने हेतु प्रदेश में चल रही परियोजनाएँ, स्वयं सहायता समूहों का गठन, राज्य सरकार को आधारभूत संरचना विकास हेतु प्रदत्त वित्तीय सहायता एवं सहकारिता को बल देने हेतु PACS कंप्यूटरीकरण के लिए नाबार्ड द्वारा प्रदान कि गयी सहायता के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कृषि एवं ग्रामीण विकास, लघु उद्योगों को बढ़ावा देना, वित्तीय साक्षरता व सूक्ष्म ऋण को लोगों तक पहुँचना नाबार्ड की प्राथमिकता रही है।

 

सेमिनार में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी बैंक, बीमा कंपनियाँ, सरकारी विभाग, कृषि विश्वविद्यालय, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक, उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक, जिला सहकारी बैंकों के प्रतिनिधि एवं कृषक उत्पादक संगठनों के सदस्यों ने भी प्रतिभाग किया।

 

इस अवसर पर उत्तराखंड ग्रामीण बैंक, राज्य सहकारी बैंक, 02 जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक तथा 02 कृषक उत्पादक संगठनों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया |

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन, श्री पंकज यादव, मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड, डॉ एस एन पांडे कृषि एवं बागवानी सचिव, सुश्री दीप्ति अग्रवाल महाप्रबंधक भारतीय रिजर्व बैंक तथा श्री दीपेश राज महाप्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक मौजूद रहे! 

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वनों को आग से बचाने के लिए शीतलाखेत मॉडल आदर्शः मुख्यमंत्री*

*कहा-वनाग्नि से निपटने में समुदायों की सहभागिता जरूरी*

*वनाग्नि नियंत्रण पर आयोजित मॉक ड्रिल का लिया जायजा*

*बेहतर रणनीति बनाने में मदद करेगा मॉक अभ्यास*

देहरादून। दिनांक 13 फरवरी, 2025.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड में वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण के लिए शीतलाखेत मॉडल को आदर्श मॉडल बताया।
उन्होंने कहा कि वनों को बचाने में समुदाय किस प्रकार अपना रचनात्मक व सकारात्मक योगदान दे सकते हैं, शीतलाखेत मॉडल इसका उत्कृष्ट उदाहरण हैं और धीरे-धीरे सभी जनपद इसे अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के बेशकीमती वनों को अग्नि से बचाने के लिए स्थानीय समुदायों, ग्रामीणों और विशेषकर महिलाओं की सहभागिता जरूरी है।

उन्होंने कहा कि समुदाय ही सबसे पहले किसी भी आपदा का सामना करते हैं और यदि वे समय पर इसकी सूचना प्रशासन को दें तथा राहत और बचाव दलों के पहुंचने से पहले छोटे-छोटे प्रयास प्रारंभ कर दें तो काफी हद तक आपदाओं के खतरों को कम किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को उत्तराखण्ड में वनाग्नि नियंत्रण को लेकर पीएमओ कार्यालय के निर्देश पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गृह मंत्रालय, भारत सरकार और उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मॉक ड्रिल का जायजा लिया। यह मॉक ड्रिल राज्य में वनाग्नि के दृष्टिकोण से सबसे अधिक प्रभावित छह जनपदों, अल्मोड़ा, चम्पावत, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून के 16 स्थानों पर की गई। यह देश की पहली मॉक ड्रिल है जो वनाग्नि नियंत्रण में समुदायों की सहभागिता पर केन्द्रित है।
यूएसडीएमए स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से उन्होंने बारी-बारी सभी छह जनपदों के जिलाधिकारियों से मॉक ड्रिल को लेकर जानकारी ली और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह मॉक ड्रिल केवल एक अभ्यास नहीं है बल्कि यह जानने और समझने का अवसर भी है कि क्या हमारी स्ट्रेंथ है और क्या कमियां हैं ताकि उनमें सुधार किया जा सके। इससे तैयारियों को परखने के साथ ही आने वाले दिनों में वनाग्नि की घटनाओं में त्वरित नियंत्रण पाने में भी मदद मिलेगी। साथ ही चुनौतियों का धरातल पर परीक्षण होगा और समाधान के रास्ते निकलेंगे।
उन्होंने कहा कि हमारे राज्य का 71 प्रतिशत भूभाग घने वनों से अच्छादित है और यह जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर वर्ष हमें वनाग्नि की चुनौतियों से जूझना पड़ता है और इसके कारण न सिर्फ वन संपदा को नुकसान पहुंचता है, बल्कि वन्य जीवों के साथ पर्यावरण तथा स्थानीय समुदायों की आजीविका भी प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि से प्रभावी तरीके से निपटने में सभी विभागों के साथ ही स्थानीय समुदायों को फ्रंटफुट में आकर कार्य करना पड़ेगा। वनाग्नि हो या कोई अन्य आपदा, यह विषय एक विभाग का नहीं है बल्कि समूचे तंत्र का है और सभी को इसमें ओनरशिप लेनी होगी।
उन्होंने कहा कि युवक मंगल दल, महिला मंगल दल, एनसीसी और एनएसएस कैडेट्स, स्थानीय ग्रामीण और विशेषकर महिलाएं, आपदा मित्र, भारत स्काउट एंड गाइड, फायर वाचर्स, रेड क्रास, एनजीओ, पंचायत प्रतिनिधि, ग्राम प्रधान और विद्यार्थियों को भी जागरूक और प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में वनाग्नि की चुनौतियों से समाधान के लिए वनाग्नि की पिछली घटनाओं में आई समस्याओं का ध्यान में रखते हुए आगे की योजनाएं बनाई जाएं। उन्होंने प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु को निर्देश दिये कि वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए सभी विभागों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पत्र जारी किया जाए। वनाग्नि को रोकने के लिए चाल-खाल, तलैया और अन्य प्रभावी उपायों पर कार्य किए जाएं ताकि जमीन में नमी बनी रहे। इसके लिए जलागम विभाग का भी सहयोग लिया जाए।

*आधुनिक तकनीक का प्रयोग करने के निर्देश*
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वनाग्नि नियंत्रण में आधुनिक तकनीकों, जैसे सैटेलाइट मॉनिटरिंग, ड्रोन सर्विलांस, रिमोट सेंसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फायर डिटेक्शन सिस्टम का उपयोग बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने गृह मंत्रालय का भी वनाग्नि नियंत्रण में सहयोग प्रदान करने के लिए आभार जताया। साथ ही वायु सेना द्वारा समय-समय पर वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने के लिए आभार जताया। उन्होंने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की भूमिकाओं को भी सराहा।

शीतलाखेत मॉडल की विशेषताएं
– हर वर्ष 01 अप्रैल को ओण दिवस मनाया जाता है, जिसके तहत महिलाओं द्वारा एक अप्रैल से पहले खेतों के मेड़ों में उगी कांटेदार झाड़ियों, खरपतवारों को नियंत्रित तरीके से जलाया जाता है।
– वनाग्नि संवेदनशील क्षेत्रों में फायर पट्टी का निर्माण कर नियंत्रित फुकान किया जाता है।

– बांज, काफल, उतीश आदि चौड़ी पत्ती प्रजाति के पेड़ों के कटान पर पाबंदी।

– वनाग्नि नियंत्रण के लिए सभी गांवों में महिला मंगल दलों का गठन।
– आग बुझाने में सहयोग करने वाले महिला मंगल दलों को किया जाता है सम्मानित।

– वनाग्नि नियंत्रण में वन विभाग का पूरा सहयोग करते हैं ग्रामीण।

– आग लगने पर महिलाओं, ग्रामीणों द्वारा पहले एक घंटे में वन विभाग के सहयोग या स्वयं ही आग को नियंत्रित करने के प्रयास आरम्भ कर दिए जाते हैं।
– व्हाट्सप्प समूह की माध्यम से वनाग्नि आरम्भ होने की सूचना का आदान प्रदान होता है।

– महिलाओं, युवाओं और वन कर्मियों के सहयोग से जंगल बचाओ-जीवन बचाओ अभियान संचालित।

– 30 से अधिक गांवों की महिलाओं, युवाओं, जन प्रतिनिधियों और वन कर्मियों के व्हाट्सएप समूह का गठन।

*वन विभाग के 541 कर्मचारी हुए मॉक अभ्यास में शामिल*
अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया कि इस मॉक ड्रिल में वन विभाग के 541 कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया। साथ ही 4095 अग्निशमन उपकरणों को शामिल किया गया। उन्होंने बताया कि वन क्षेत्र तथा गांव में अग्नि की स्थिति को सभी विभागों द्वारा आपसी समन्वय से नियंत्रित किया गया। मानव हानि, पशु हानि पर त्वरित गति से राहत और बचाव कार्य संचालित किए गए। उन्होंने बताया कि सभी 16 साइट्स पर स्थानीय समुदायों, वन पंचायत प्रतिनिधियों, ग्राम प्रधानों तथा वन विभाग के नव नियुक्त वन आरक्षियों व वन दरोगाओं को बेसिक प्रशिक्षण दिया गया।

*चुनौतियों पर विस्तार से हुई चर्चा*
एनडीएमए के सीनियर कंसलटेंट आदित्य कुमार ने बाद में सभी 16 साइटों के इंसीडेंट कमाण्डरों की डीब्रीफिंग ली। उन्होंने सभी से मॉक ड्रिल किस तरह से संचालित की गई, इसकी जानकारी ली। इंसीडेंट कमाण्डरों ने जो कमियां रहीं और जिन चुनौतियों का सामना किया, उनके बारे में विस्तार से बताया। समुदायों की सहभागिता किस प्रकार सुनिश्चित की गई, तकनीक का प्रयोग किस तरह किया गया, संसाधनों को किस प्रकार रवाना किया गया, आग पर कितने समय में काबू पाया गया, संचार व संवाद में कहां गैप्स रहे, इस पर विस्तार से इंसीडेंट कमाण्डरों ने जानकारी साझा की। मॉक ड्रिल के दौरान आर्मी तथा आईटीबीपी से सहयोग लिया गया तथा आईआरएस प्रणाली के तहत मॉक ड्रिल संचालित की गई।

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि जो सुझाव आए हैं उन पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाएगा और जो कमियां निकलकर आई हैं, उन्हें दूर किया जाएगा ताकि आने वाले दिनों में वनाग्नि से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।

इस अवसर पर राज्य सलाहकार समिति आपदा प्रबंधन विभाग के उपाध्यक्ष विनय कुमार रुहेला, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री आर के सुधांशु, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन, आईजी फायर श्री मुख्तार मोहसिन, एनडीएमए के सीनियर कंसल्टेंट श्री आदित्य कुमार, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, अपर सचिव विनीत कुमार, अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद ओबेदुल्लाह अंसारी आदि मौजूद थे।