मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को नंदप्रयाग में आयोजित राम कथा में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि अलकनंदा और नंदाकिनी के संगम नंदप्रयाग में आयोजित राम कथा में उन्हें संतवाणी का साक्षी बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवनगाथा आत्मिक चेतना जागृत करने का एक माध्यम है। रामकथा हमारे जीवन मूल्यों को जागृत करने और भगवान श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करने का एक दिव्य अवसर है। उनके आदर्शों से पता चलता है कि हमारे जीवन में धर्म, करुणा, सत्य, सेवा और भक्ति की कितनी अधिक महत्ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मोरारी बापू जी की अमृतवाणी से हमें जीवन को राममय बनाने की प्रेरणा मिलती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विश्वनाथ कॉरीडोर, महाकाल लोक और अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य एवं दिव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। हमारी सनातन संस्कृति को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिली। उनके मार्गदर्शन से राज्य सरकार प्रदेश के समग्र विकास के साथ ही सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित एवं संवर्धित करने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।
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आज दिनांक 03-05-2025 सनातन परंपराओ के निर्वहन हेतु एवम भगवान बद्री विशाल के कपाट खुलने एवं 12 वर्षो के उपरांत सरस्वती पुष्कर कुंभकम् के आयोजन हेतु सांय 6 बजे बद्रीनाथ घाम मे बैठक का आयोजन हुआ जिसमे इस बात पर चर्चा हुई कि सरस्वती नदी के किनारे वेदव्यास द्वारा वेदों की रचना होने का संदर्भ आता है। भारत प्राचीन समय से सभ्यता एवम संस्कृति का केन्द्र बिन्दु रहा है I सरस्वती नदी के प्रवाह की खोज हेतु अनेक विद्वानों ने प्रयत्न किये, अनुसंधान केंद्र बने, सरकार ने भी टास्क फोर्स गठित की , इसरो के वैज्ञानिकों ने भी प्रवाह के चित्र लिए हैं I ‘सरस्वती अभियान’ की सफलता से वैदिक काल तक का इतिहास विश्व को मानना पड़ेगा I सरस्वती नदी पूर्व में आदिबद्री (चाँदपुरगढ़) में होने का उल्लेख मिलता है जो सदैव परवाहमान होकर आज भारत के प्रथम गांव माणा (बद्रीनाथ) के सन्निकट पर्वत के गर्भ से निकल कर आगे चलकर भूमिगत हो जाती है I 12 वर्षों के पश्चात सरस्वती पुष्कर कुम्भकंम कुंभ का आयोजन होता है, जिसमें दक्षिण के आचार्यों एवं उपासकों की विशेष सहभागिता होती है I इस सरस्वती पुष्कर कुंभकम को सफल कर सरस्वती अभियान में कार्यशाला का आयोजान भी किया जायेगा जिसके आधार पर इसरो एवं अन्य अनुसन्धानकारी संगठनों के साथ मिलकर इस कार्य को परिणामकारी बनाने हेतु भू बैकुंठ धाम के कपाट उद्घाटन के पश्चात ध्वज स्थापना पूजन पारंपरिक विधि विधान से क्षेत्रीय पुरोहित, राजगुरु, दीक्षा गुरु, अन्य पुरोहितों, स्थानीय नागरिकों के सानिध्य में जनप्रतिनिधियों, राजपरिवार के प्रतिनिधि एवं थोकदार ठाकुरों, हकहकूक धारियों की उपस्थिति में मां सरस्वती का ध्वजा स्थापित किया जाएगा। स्थापना के समय गढ़वाल के चार प्राचीन चिन्ह निशान इस पूजन में सम्मिलित रहेंगे। जो कि विष्णु ध्वज, गढ़वाल का प्राचीन ध्वज, टिहरी गढ़वाल का सैन्य ध्वज व मां तारा की उत्सव चिन्ह सम्मिलित है। सरस्वती ध्वज की स्थापना हेतु पैय्यां की लकड़ी का प्रबंध श्री प्रकाश कुमार डिमरी (बड़वा लेखवार) बद्रीनाथ के पुजारी के बगीचे जो रविग्राम खौंन बद्रीनाथ फुलवारी से लाया गया। ध्वज का कलश पुराना दरबार ट्रस्ट द्वारा सरस्वती उत्सव मूर्ति स्थापित की जाएगी। इसके पश्चात् भगवान बद्रीनाथ के कपाट बंद होने तक इस पूरे वर्ष ग्रह नक्षत्र के अनुसार श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे।
उपरोक्त पुष्कर कुम्भकंम का कार्यक्रम निम्नवत रहेगा :-
4 मई प्रातःसुबह 6 बजे कपाट उद्घाटन एवम डिमरी पंचायत द्वारा मंदिर की ओर से दस्तूर दिया जायेगा।
4 मई प्रातः अभिजीत मुहूर्त 10:30 बजे से 12:30 बजे ध्वज स्थापना एवं दस्तूर I
14 – 25 मई सरस्वती कुम्भकम विशेष पूजन दक्षिण भारत I
17, 18, 19 मई गोष्ठी एवं कार्यशाला, सरस्वती अभियान I
निवेदक: सभी हकहकूक धारी ब्राह्मण और राजपूत समाज, टिहरी राजपरिवार के वंशज ठाकुर कुंवर भवानी प्रताप सिंह जी, राजगुरु कृष्णानन्द नौटियाल जी, हरीश डिमरी जी, भाष्कर डिमरी जी,ठाकुर नरेंद्र सिंह रौथाण जी, ठाकुर गौरव सिंह बर्तवाल, डाक्टर मानवेंन्द्र सिंह बर्त्वाल, महेन्द्र सिंह बर्त्वाल जी, उपेन्द्र सिंह बर्त्वाल, भानु प्रकाश नेगी जी,गोविंद सिंह तोपाल जी, सुरेश चन्द्र सुयाल जी, राजेंद्र भंडारी जी, देवी प्रसाद देवली, भुवन उनियाल जी धर्माचार्य प्रतिनिधि , श्री गिरधर जी समन्वयक दक्षिण भारत।